निहंग सिख सिंघु बॉर्डर से टिकरी बॉर्डर तक किसान आंदोलन में सबसे आगे ही दिखे। इनके रहने का तरीका इनकी पोशाक पगड़ी करतब करने की कला सबसे अलग और अनोखा है।
निहंग सिखों की शुरुआत कैसे हुई
निहंग सिख खुद को सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह की लाडली फौज कहते। इस फौज को गुरु गोविंद सिंह ने ही बनाया था। निहंग सिख नीले कपड़े पहनते हैं। इनके पास हमेशा तलवारे रहती है। इनकी पगड़ी भी आम सिखों से अलग दिखाई देती है। इतिहासकार डॉ बलवंत सिंह ढिल्लोन इंडियन एक्सप्रेस को बताते हैं। निहंग शब्द के कई मतलब होते हैं जैसे तलवार कलम मगरमच्छ माना जाता है कि निहंग शब्द संस्कृत के नि:शंक से आया है जिसका मतलब जिसका मतलब होता है वह इंसान जिसे किसी बात का डर, शंका या भय न हो। निहंग शब्द को पूर्ण योद्धा के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। ढिल्लोन कहते हैं कि निहंग खालसा के लिए बने नियमों का पूरी तरह पालन करते हैं और भगवा निशान साहिब फहराने के बजाय वह अपने धार्मिक स्थल पर नीला निशान साहिब फहराते है। निहंग
आमतौर पर आधुनिक और पारंपरिक दोनों तरह के हथियारों से लैस होते है।
निहंग सिखों का इतिहास क्या है
सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने जब खालसा पंथ की स्थापना की है, उसी के साथ ही निहंगो की भी शुरुआत हुई। मुगल शासकों से लड़ते वक्त जब सिखों का कत्लेआम हो रहा था, तब निहंगो ने सिख धर्म को बचाने के लिए मुगलों से लड़ाई लड़ी थी निहंगो को घुड़सवारी, तलवारबाजी और युद्ध की विधाओं में माहिर माना जाता है। निहंग सिख साल भर तक अपने डेरो में रहते हैं, लेकिन इतिहासिक सिख गुरुद्वारों में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में जरूर भाग लेते और वहां घुड़सवारी और युद्ध से जुड़े कौशल दिखाते निहंग सिख खेती करते हैं और आम लोगों के साथ भी मिलकर रहते हैं।
आम सिखों से क्यों अलग होते है निहंग सिख
कहते हैं गुरु गोविंद सिंह के चार बेटे अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह। फतेह सिंह सबसे छोटे थे एक बार तीनों बड़े भाई आपस में युद्ध का अभ्यास कर रहे थे। इसी दौरान फतेह सिंह भी वही पहुंचे और युद्ध कला सीखने की इच्छा जताई। इस पर बड़े भाइयों ने उनसे कहा कि आप अभी छोटे और जब आप बड़े हो जाएंगे तब यह कला आपको सीखना है। कहा जाता है कि अपने तीनों बड़े भाइयों के इस बात पर फतेह सिंह नाराज हो गए और घर के अंदर गए और नीले रंग का लिबास पहना सिर पर एक बड़ी सी पगड़ी, बांधी और हाथों में तलवार और भाला लेकर वहां पहुंच गए । उन्होंने अपने भाइयों से कहा कि अब वह लंबाई में तीनों के बराबर हो गए गुरु गोविंद सिंह यह सब देख रहे थे। फतेह सिंह की बहादुरी से वह प्रभावित हुए और तब जाकर चारों भाइयों को होने युद्ध कला सिखाई मान्यता है कि फतेह सिंह ने अपने बड़े भाइयों की बराबरी करने के लिए जो चोला पहना था वही आज के निहंग सिख पहनते फतेह सिंह ने जो हथियार उठाया था। आज भी निहंग सिख उन हथियारो के साथ दिखते है।
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